Gaming industry में किसी regulator के लिए अब आवाज़ उठने लगी है, ई-गेमिंग फेडरेशन (E-Gaming Federation)ने कहा है कि गेमर्स के प्रोटेक्शन (Protection of gamers) के लिए सरकार को किसी तरह की कोई एजेंसी बनानी चाहिए, जोकि प्लेयर्स या इस सेक्टर पर लोगों के अधिकारों की रक्षा करे। ख़ास बात यह है कि देश में सिर्फ रियल मनी गेमिंग सेक्टर ही लगभग 20 हज़ार करोड़ रुपये का है, लेकिन यहां प्लेयर्स के प्रोटेकेशन के लिए कोई एजेंसी नहीं है।
इस सवाल को उठाते हुए ई गेमिंग फेडरेशन की डायरेक्टर देहुती बक्शी (Dehuti Bakshi, Director of E Gaming Federation) ने कहा कि अगर आप कोई चिप्स का पैकेट भी खरीदते हो तो आपको पता है कि यह सेफ है, इसपर FSSAI का सर्टिफिकेशन है, जोकि इसके अंदर के प्रोडक्ट की क्वालिटी (Product quality) को लेकर आप आश्वस्त होते हैं। लेकिन क्या गेमिंग पर FSSAI जैसा कुछ सर्टिफिकेशन है। इसका जवाब नहीं है, सरकार के पास कोई ऐसा अधिकारी गेमिंग सेक्टर के लिए नहीं जो लोगों की समस्याओं का समाधान निकाले। हमारे पास तो कोई कंट्रोलिंग एजेंसी भी नहीं है। जोकि प्लेयर्स के लेकर अन्य गेमिंग सेक्टर को प्रोटेक्ट करे।
बक्शी ने कहा कि सरकार को कोई एजेंसी बनानी चाहिए, ताकि प्लेयर को पता हो कि अगर किसी तरह का फ्राड हुआ है या फिर चिटिंग हुई है तो उस प्लेयर को किसी एजेंसी के पास जाना है। सरकार का इस सेक्टर को लेकर सर्मथन नहीं है। सेक्टर को सरकार की जरुरत है, किसी सरकारी एजेंसी की जरुरत है। दरअसल गेमिंग सेक्टर को लेकर सरकार लंबे समय से चुप्पी साधे हुई है। दुनियाभर की कंपनियां भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री में निवेश कर रही हैं, लेकिन किसी पॉलिसी के अभाव में इस सेक्टर के बारे में कुछ साफ नहीं हो पाया है।