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महादेव बुक सट्टेबाजी मामला: अदालत ने आरोपियों की न्यायिक हिरासत 13 अक्टूबर तक बढ़ाई

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महादेव बुक

Mahadev Book betting case: महादेव बुक अवैध सट्टेबाजी ऐप मामले में गिरफ्तार चारों को विशेष अदालत में पेश किया गया। सुनवाई के दौरान उनकी न्यायिक हिरासत एक बार फिर शुक्रवार, 13 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई। आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत के सामने पेश हुए थे। जिसमें विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत ने दलीलें सुनीं और इसके बाद आरोपियों को फिर से न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

नई दुनिया के अनुसार, एएसआई चंद्रभूषण वर्मा का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने अंग्रेजी में बयान दर्ज किए थे, जबकि वर्मा इसे ठीक से समझने में सक्षम नहीं थे। वहीं ईडी के वकील सौरभ पांडे ने वर्मा का 12वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम सामने रखा। नतीजे से पता चला कि वर्मा अंग्रेजी में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुए, जिससे पता चला कि वह अंग्रेजी भाषा को बहुत अच्छी तरह समझते हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने न्यायिक हिरासत को और बढ़ाने का फैसला किया।

हालिया सुनवाई से पहले, सभी चार, एएसआई वर्मा, अनिल दम्मानी, सुनील दम्मानी और सतीश चंद्राकर को अवैध सट्टेबाजी नेटवर्क को संचालित करने और सुविधा प्रदान करने और मामले को दबाए रखने के लिए अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए 10 दिन की न्यायिक रिमांड के बाद पेश किया गया था। दोनों पक्षों की ओर से दलीलें पेश की गईं, जहां ईडी अवैध सट्टेबाजी ऐप महादेव बुक से उनके संबंधों के सबूत इकट्ठा करने के बाद 29 सितंबर तक रिमांड बढ़ाने में सफल रही।

आरोपियों को पहले भी लग चुका है झटका

अनिल और सुनील दम्मानी ने पहले अपने वकील के साथ जमानत के लिए आवेदन किया था और दावा किया था कि उन पर संलिप्तता का झूठा आरोप लगाया गया है। ईडी ने दावा किया कि ये दोनों सट्टेबाजी रैकेट को संचालित करने में मदद करने में शामिल हैं। विशेष न्यायाधीश राजपूत ने पहले 22 सितंबर को जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। फिलहाल, ईडी गिरफ्तार किए गए लोगों से पूछताछ कर रही है, साथ ही मास्टरमाइंड को भारत वापस लाने पर भी काम कर रही है। गौरतलब है कि महादेव बुक ऑपरेशन के सरगना सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल फिलहाल दुबई में छुपे हुए हैं। वहीं भारतीय एजेंसियां उन्हें भारत में लाने के कोशिश में लगी हुई है और इस मामले में इंटरपोल से मदद मांगी जा रही है।

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