Home Card Games Sr. Lawyer Abhishek Shighvi ने किया गेमिंग पर टैक्स रेट में बढ़ोतरी...

Sr. Lawyer Abhishek Shighvi ने किया गेमिंग पर टैक्स रेट में बढ़ोतरी का विरोध

0
Abhishek singhvi with Rahul and Priyanka Gandhi

प्रमुख वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सदस्य डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी (Sr. Lawyer Abhishek Shighvi) ने शनिवार को ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग, कैसीनो और घुड़दौड़ पर tax rate को full face value पर लगाने के सरकार के फैसले की आलोचना की।

डॉ. सिंघवी ने पहले विभिन्न उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष कई मामलों में गेमिंग कंपनियों का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने कर्नाटक जैसे राज्यों द्वारा लागू प्रतिबंध कानूनों के संवैधानिक आधार और जीएसटी विभाग को चुनौती की अपील में मुकदमा लड़ा था। डॉ. सिंघवी ने 2021 में गेम्सक्राफ्ट का प्रतिनिधित्व करने के साथ-साथ कौशल के खेल और मौका के खेल पर उच्च सदन में एक सवाल उठाया था। हितों के टकराव के आरोपों के बाद उन्हें सवाल छोड़ना पड़ा।

सिंघवी गोवा के परिवहन मंत्री मौविन गोडिन्हो और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे की सूची में शामिल हैं। मौविन गोडिन्हो ने कहा कि वह परिषद के फैसले पर पुनर्विचार के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखेंगे।

उद्योग के मुताबिक, सरकार के टैक्स रेट बढ़ाने से विदेशी वेबसाइटों को ना सिर्फ सारा कारोबार चला जाएगा, बल्कि सरकार को भी टैक्स का भारी नुकसान होगा।

इससे पहले, कर्नाटक के आईटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि यह निर्णय संभावित रूप से 2025 तक भारत के 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य में बाधा उत्पन्न कर सकता है। रिपोर्ट से पता चलता है कि देश ने गेमिंग क्षेत्र में कोविड19 के बाद बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी देखी है। जोकि टैक्स बढ़ने के बाद अब कम करें।

हालांकि कांग्रेस के कई प्रभावशाली सदस्य इस फैसले की आलोचना करने के लिए सामने आए हैं, लेकिन कांग्रेस शासित किसी भी राज्य ने जीएसटी परिषद में इस मुद्दे का विरोध नहीं किया है।

यह प्रस्ताव इस तथ्य पर विचार करते हुए एक बड़ा निर्णय है कि सभी राज्यों को राज्य जीएसटी अधिनियमों में संशोधन करने की आवश्यकता है, जबकि केंद्र सरकार को कार्यान्वयन के लिए सीजीएसटी और आईजीएसटी अधिनियमों में संशोधन करने की आवश्यकता है। संशोधन करने से इनकार करने वाले किसी भी राज्य के परिणामस्वरूप एक अनोखा संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है।

About Author

NO COMMENTS

Exit mobile version