भारत में अवैध तौर पर ऑनलाइन जुआ (illegal online gambling) खिला रही वेबसाइट्स को नकेल कसने के लिए अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कुराकाओ, माल्टा और साइप्रस (Curaçao, Malta and Cyprus) जैसे छोटे द्वीपों से ऑपरेशन चला रही कंपनियों की जांच शुरु की है। यह गैंबलिंग कंपनियां (gambling companies) भारत से दांव लगाने वालों को ठगने का काम कर रही हैं। इन कंपनियों और गैंबलिंग एप पर भारत में ₹4,978 करोड़ की धोखाधड़ी करने के मुकदमें दर्ज हैं।
दरअसल ईडी ने इन छोटे द्वीप समूहों से अलग अलग नामों से अवैध जुआ साइट चलाकर पैसे ठगने की मल्टीपल रिपोर्ट्स मिली हुई थी। इस मामले में बहुत सारी एफआईआर भी दर्ज हुई थी। इस सिंडिकेट को चलाने वाले गैंग का एक प्रमुख सदस्य दिल्ली के मोतीनगर का रहने वाला पुनीत कुमार है, जोकि बहुत जगह पुनीत माहेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है। यह पुनीत नेपाल से दिल्ली आते हुए गिरफ्तार किया गया था। जिसे ईडी की एक विशेष अदालत ने हिरासत में भेज दिया गया है।
दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़ और अन्य क्षेत्रों में ऑनलाइन जुए के नाम पर हो रही ठगी के कारण दर्ज कई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) की जांच करते हुए ईडी ने पाया कि इन छोटे द्वीपों से चल रहा एक सिंडिकेट यह ठगी कर रहा है। एजेंसी का आरोप है कि कुमार ने घोटालों को अंजाम देने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) स्थित सर्वर का उपयोग करके व्यक्तियों को धोखा देने का एक तरीका तैयार किया। उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात में सिंडिकेट को चलाने के लिए भारत में स्थापित एक समानांतर प्रणाली तैयार की थी।
कुमार को इससे पहले ईडी से समन भी मिला था, लेकिन अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए वो कई जगह छुप रहे थे। इसी सिडिंकेट के एक अन्य आरोपी आशीष कक्कड़ को पहले 2 मार्च, 2024 को गुरुग्राम के एक होटल से गिरफ्तार किया गया था।
इन दोनों के परिसरों में छापों के दौरान विदेशी निर्मित सोने की छड़ें, नकदी, आभूषण, महंगी घड़ियां, लक्जरी कारें और फर्जी कंपनियां बनाने करने के लिए नकली पैन और आधार कार्ड सहित विभिन्न संपत्तियां जब्त की गईं। आरोपियों ने पहचान से बचने के लिए एनीडेस्क और टीमव्यूअर जैसे एप्लिकेशन के माध्यम से एक्सेस किए जाने वाले रिमोट-आधारित सर्वर का भी इस्तेमाल किया।
यह सिंडिकेट ऑनलाइन जुए के अलावा कर्ज, निवेश पर रिटर्न, नौकरियों और ऑनलाइन शॉपिंग में झूठे वादों के माध्यम से लोगों को धोखा देकर पैसा ठग लेता था। जब व्यक्ति अपना पैसा वापस मांगता था तो उन्हें करों या प्रसंस्करण शुल्क के बहाने अतिरिक्त राशि का भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया।
कुमार, कक्कड़ और उनके सहयोगियों ने जाली दस्तावेजों का उपयोग करके 200 से अधिक कंपनियां स्थापित कीं और अपने सहयोगियों के माध्यम से हर लेनदेन को नियंत्रित किया। उन्होंने विदेशों में धन भेजने के लिए आयात और निर्यात की गलत घोषणा करने सहित विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया, जो मनी लॉन्ड्रिंग ऑपरेशन का संकेत देता है।