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अवैध सट्टेबाज़ी के मामले में बेंगलुरु टर्फ के खिलाफ FIR पर कर्नाटक हाई कोर्ट का राहत से इंकार

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Bangalore Turf Club photo by Mohammed Habib
Bangalore Turf Club photo by Mohammed Habib

बेंगलुरु टर्फ क्लब (Bengaluru Turf Club) में काम करने वाले लाइसेंस और बिना लाइसेंस वाले सट्टेबाजों से टीडीएस (TDS from bookies) लेकर उसे सरकार के पास नहीं जमा कराने के मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट (karnataka high court) ने कर्नाटक पुलिस अधिनियम, 1963 और कर्नाटक रेस सट्टेबाजी अधिनियम के तहत शुरू की गई कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया है। बड़ी बात यह है कि क्लब में सट्टेबाजों की इंट्री किसी रजिस्टर में भी नहीं लिखी जा रही थी।

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यह मामला सीसीबी पुलिस की एक सूचना के तहत हाई ग्राउंड्स पुलिस, बेंगलुरु में दर्ज एक एफआईआर से संबंधित है, जिसमें पुलिस ने बेंगलुरु टर्फ क्लब के परिसर पर छापा मारा गया था, जहां सट्टेबाजों ने अपने स्टॉल लगाए थे और अवैध रूप से जुआ का पैसा इकट्ठा करने में लगे हुए थे। जिसको कहीं रजिस्टर तक में दर्ज नहीं किया जा रहा था। पुलिस ने इस छापे में 3.45 करोड़ रुपये जब्त किया था।
पुलिस विभाग ने नोट किया कि जिस दिन राशि जब्त की गई, उस दिन चार दौड़ें पूरी हो चुकी थीं और पांचवीं दौड़ चल रही थी। इस आधार पर 01 जनवरी 2023 से 18 जनवरी 2024 तक, कुल 1507 दौड़ों की सट्टेबाजी की राशि 1302,57,69,570/- रुपये होगी। जबकि क्लब द्वारा बताई गई वास्तविक राशि केवल 24,96,30,667/- रुपये है।

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बैंगलोर टर्फ क्लब के अध्यक्ष ने एक बयान दिया था कि सट्टेबाज पेंसिल शीट में लेनदेन दर्ज करने के लिए ऑथराइज़ नहीं हैं, जो छापे के दौरान सट्टेबाजों से बरामद किए गए थे। पुलिस विभाग को पीले सट्टेबाजी कार्ड भी मिले जो टर्फ क्लब द्वारा जारी नहीं किए गए थे।
राज्य (एनसीटी दिल्ली) बनाम संजय (2014) 9 एससीसी 772 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि आरोप होने पर पुलिस के पास एफआईआर दर्ज करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था। जीएसटी चोरी और टीडीएस जमा न करने का आरोप।

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