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Online gaming court cases: रियल मनी गेमिंग की कोर्ट की परेशानियां बढ़ी

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 high court order on online gaming betting gambling
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Online gaming court cases: गेमिंग सेक्टर के लिए 2023 काफी बड़े झटके वाला साबित हुआ, जहां एक ओर इंडस्ट्री ने करोड़ों रुपये एसआरबी (Self Regulatary Body) को लेकर किया था, जहां पूरा एसआरबी का फंड लगभग बर्बाद हो गया, वहीं दूसरी ओर एसआरबी के साथ साथ कोर्ट केस (court cases) लगातार गेमिंग सेक्टर को परेशान करते रहे। 2023 में रियल मनी गेमिंग में क्या क्या महत्वपूर्ण कोर्ट केस हुए, इसको जानते हैं।

गेम्सक्राफ्ट जीएसटी मामला (Gameskraft GST issue)
सितंबर 2022 में, जीएसटी इंटेलिजेंस यूनिट (GSTIU) ने बेंगलुरु स्थित गेम्सक्राफ्ट को कारण बताओ नोटिस जारी कर अगस्त 2017 से जून 2022 के दौरान 20,989 करोड़ रुपये टैक्स डिमांड नोटिस भेज दिया। इसको देखते हुए कंपनी ने कारण बताओ नोटिस को कर्नाटक उच्च न्यायालय के सामने चुनौती दी और 2022 में इसपर स्टे लग गया, हालांकि इसका अंतिम निर्णय मई 2023 में ही सुनाया गया। इस ऐतिहासिक फैसले में, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) के कारण बताओ नोटिस को रद्द कर दिया।

इसके बाद जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के सामने एक अपील दायर की, जिसने सितंबर 2023 में मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी। इस रोक के परिणामस्वरूप हाल के महीनों में ऑनलाइन गेमिंग और कैसीनो ऑपरेटरों को जीएसटी नोटिस की झड़ी लग गई।

  1. Bombay HC: गोवा बेंच में कैसीनो लाइसेंस शुल्क मामला
    बॉम्बे हाई कोर्ट की गोवा पीठ ने अप्रैल में कैसीनो चलाने वालों को 2020 और 2021 के लिए 321 करोड़ रुपये की लंबित फीस का भुगतान करने का निर्देश दिया था, इस दौरान ये कैसिनो COVID-19 महामारी के कारण बंद थे।
  2. राज्य सरकार ने कोरोना के कारण कैसीनो संचालन को फीस भुगतान को स्थगित कर दिया था, लेकिन अक्टूबर 2022 में सरकार ने भुगतान के लिए कैसिनो संचालकों पर फीस देने का दबाव बनाया, इसके बाद राज्य सरकार के खिलाफ कैसीनो ऑपरेटरों ने कोर्ट का रुख किया। बॉम्बे उच्च न्यायालय की गोवा पीठ के समक्ष इस मामले की रिट याचिकाएं, दायर हुई।

सुनवाई में न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार ने फीस को टाला था, इस फीस की एवज में कैसीनो चलाने की अनुमति दी है। लाइसेंस शुल्क ऐसे विशेषाधिकार से अलग होने की कीमत या प्रतिफल है, जिसका स्वामित्व और नियंत्रण विशेष रूप से राज्य सरकार के पास है और हाई कोर्ट ने कैसीनो संचालकों को कोई राहत देने से इनकार कर दिया गया है।

  1. Andra Pradesh HC : ऑनलाइन गेमिंग प्रतिबंध कानून
    मार्च 2023 में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को यह जांचने के लिए एक समिति बनाने को कहा, जोकि ऑनलाइन रम्मी स्किल है या चांस इसका पता लगाएगी।
  2. जनवरी 2023 में एक आदेश में, उच्च न्यायालय ने यह माना कि फिजिकली खेला जाने वाला रम्मी एक “स्किल बेस्ड गेम” है, लेकिन यह मानने के लिए कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है कि ऑनलाइन रम्मी भी “स्किल है”/या “चांस” है। न्यायालय ने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय और तमिलनाडु उच्च न्यायालय के दो हालिया फैसलों में भी यह तय नहीं होता कि ऑनलाइन रम्मी कैसे खेली जाती है। इसके बाद राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने अगस्त में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2023 को देखते हुए ऑनलाइन रम्मी से संबंधित मुद्दों पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया।
  1. SC में ऑनलाइन गेमिंग पर बैन को लेकर केस
    सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु-कर्नाटक राज्यों ने उच्च न्यायालयों द्वारा ऑनलाइन गेमिंग प्रतिबंध कानूनों को रद्द करने पर अपील पर सुनवाई जारी रखी। सुप्रीम कोर्ट में अपीलों के लंबित होने के बावजूद, तमिलनाडु सरकार एक और कानून बनाने जा रही थी। चूंकि ये मामले लंबित थे, इसलिए तेलंगाना सरकार ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित इसी तरह की याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरण याचिका दायर की। मामले फिलहाल लंबित हैं और 2024 में इन मामलों के लिए कुछ न कुछ हो सकता है।
    • Madras HC: ऑनलाइन गेमिंग प्रतिबंध कानून
    • नवंबर में मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु ऑनलाइन जुआ निषेध और ऑनलाइन गेम विनियमन अधिनियम 2022 की वैधता को बरकरार रखा। हालांकि, अदालत ने कहा कि यह विधेयक रम्मी और पोकर जैसे खेलों पर लागू नहीं होगा, जो स्किल के खेल थे और यह केवल संयोग के खेल के खिलाफ ही लागू होगा। इसके मुताबिक ऑनलाइन पोकर और रम्मी को बैन करने वाले कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया जाएगा। लगभग दो वर्षों में यह दूसरी बार है कि राज्य सरकार ऑनलाइन रमी और पोकर पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून का बचाव करने में फेल रही।
  2. विभिन्न उच्च न्यायालयों में जीएसटी मामले
    इस साल जैसे ही गेम्सक्राफ्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे लगाया, उसके बाद से ही ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों और कैसीनो ऑपरेटरों को जीएसटी नोटिस की झड़ी लगी, उनमें से कई ने इस आधार पर राहत की मांग करते हुए विभिन्न उच्च न्यायालयों का दरवाजा खटखटाया कि नोटिस मनमाने और असंवैधानिक थे। इनमें से अधिकांश मामलों में उच्च न्यायालयों ने अंतरिम राहत दी है।

नवंबर में, कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष पेश हुए एएसजी वेंकटरमन ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि सरकार जल्द ही विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित समान कर मामलों को एक साथ जोड़ने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी।

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