Supreme Court: गेमिंग कंपनियों पर जीएसटी ग्रोस गेमिंग रेवेन्यू (GST on gaming companies) पर लगेगा या फिर दांव के कुल मूल्य (Skill or chance) पर इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने दो प्रमुख ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों (Online gaming companies) हेड डिजिटल वर्क्स और गेम्स 24/7 की दायर याचिकाओं पर संज्ञान लिया है। दोनों कंपनियों ने यह याचिकाएं सकल गेमिंग राजस्व के बजाय लगाए गए दांव के कुल मूल्य पर 28 प्रतिशत माल और सेवा कर (जीएसटी) लगाने के सरकार के फैसले को चुनौती देती हैं।
टीवी9 भारतवर्ष के मुताबिक, कोर्ट ने केंद्र और जीएसटी विभाग को दो सप्ताह के भीतर इन याचिकाओं पर अपना एफिडेविट दायर करने का निर्देश दिया है। उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ महीनों में इसपर सुनवाई पूरी होकर फैसला आ जाएगा। इस मामले ने जीएसटी विभाग को सभी संबंधित मामलों को विभिन्न उच्च न्यायालयों से सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित भी हो सकते है।
ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए, जिसका जीएसटी विभाग और भारत संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वेंकटरमण ने विरोध किया। इससे पहले 15 दिसंबर को न्यायालय ने हेड डिजिटल वर्क्स एंड गेम्स 24/7 को भेजे गए जीएसटी मांग नोटिस के खिलाफ अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, अदालत ने 1 अक्टूबर से प्रभावी, दांव के पूर्ण मूल्य पर पूर्वव्यापी रूप से 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने के सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता की समीक्षा करने की इच्छा का संकेत दिया था। इसके बाद ही यह अपील दायर की गई है।
दरअसल गेमिंग कंपनियों का तर्क है कि 28 प्रतिशत टैक्स केवल 1 अक्टूबर, 2023 से लागू होता है, सरकार का तर्क है कि संशोधन ने केवल मौजूदा कानून को स्पष्ट किया है। इसलिए, सरकार घोषणा करती है कि टैक्स की मांग पिछली तारीख से नहीं है।
सरकार ने अगस्त 2023 में, जीएसटी परिषद ने कानून में संशोधन किया था, जिसमें दांव से जुड़ी सभी ऑनलाइन स्किल या चांस में अंतर के बगैर लगाए गए दांव के कुल मूल्य के आधार पर 28 प्रतिशत जीएसटी दर लगेगी। जिसके बाद, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को टैक्स डिमांड प्राप्त हुई, इसके बाद कहा जाने लगा कि पूरा गेमिंग इंडस्ट्री बर्बाद हो जाएगा। टैक्स विभाग ने इन कंपनियों पर 1 लाख करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का आरोप लगाते हुए कारण बताओ नोटिस दिए गए थे।