Thursday, September 19, 2024
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महादेव बुक अवैध सट्टेबाजी रैकेट के मामले में ईडी ने दाखिल की 197 पेज की चार्ज शीट, जानिए आरोपियों के नाम

महादेव बुक प्रकरण को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में सट्टेबाजी के 14 अवैध संचालकों के खिलाफ एक विशेष अदालत में 197 पन्नों का आरोपपत्र दायर किया है। ईडी का आरोप है कि ये लोग एक सट्टेबाजी का रैकेट चलाते हैं और अभी तक इन लोगों ने अरबों का घोटाला किया है।

जांच के दौरान पुलिस और ईडी ने कुछ प्रमुख रैकेट सरगना के साथ ही गुर्गों पर मामला दर्ज किया जो पर्दे के पीछे काम कर रहे थे। ईडी ने विभिन्न हवाला चैनलों से 417 करोड़ रुपये भी जब्त किए, जिनका उपयोग अवैध सट्टेबाजी के माध्यम से अर्जित धन को ट्रांसफर करने के लिए किया जा रहा था। चार्जशीट में उल्लिखित 14 में से 9 अभी भी पुलिस द्वारा वांछित हैं और वर्तमान में फरार हैं।

ईडी ने इन लोगों के खिलाफ दाखिल की है चार्जशीट

सौरभ चंद्राकर

महादेव बुक अवैध सट्टेबाजी नेटवर्क का मास्टरमाइंड सौरभ चंद्राकर मूल रूप से छत्तीसगढ़ का रहने वाला है। जूस विक्रेता के रूप में काम करते हुए उसने एक स्थानीय सट्टेबाज के रूप में शुरुआत की। उसने महादेव बुक को चलाने के लिए अपने नेटवर्क दुबई में शुरू किया और छत्तीसगढञ के साथ ही पूरे देश में फैलाया है। उसके नेटवर्क के तहत 60 से अधिक अवैध सट्टेबाजी ऐप हैं। फिलहाल चंद्राकर दुबई में छिपा हुआ है। फिलहगाल ईडी अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों के साथ सहयोग के जरिए उसे भारत वापस लाने के लिए काम कर रहा है।

रवि उप्पल

सौरभ चंद्राकर के बाद दूसरा प्रमुख संचालक रवि उप्पल महादेव बुक अवैध सट्टेबाजी ऐप का सह-मालिक है। उप्पल मुख्य रूप से पुलिस और राजनेताओं के साथ काम करता है ताकि अवैध कारोबार को संचालित किया जा सके। उसका छत्तीसगढ़ में बड़ा नेटवर्क है और वह भी चंद्राकर के साथ दुबई में छिपा हुआ है। उप्पल को उच्च पदस्थ अधिकारियों को रिश्वत के रूप में धन की सुविधा प्रदान करने के लिए जाना जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महादेव बुक के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए। हालांकि उप्पल का दावा है कि वह छत्तीसगढ़ में एक निर्माण व्यवसाय करता है।

चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर, अनिल और सुनील दमानी

इन चारों के खिलाफ ईडी ने अगस्त में मामला दर्ज किया था और भारत में महादेव बुक के पूरे संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एक पुलिस अधिकारी एएसआई चंद्रभूषण वर्मा को धन की सुविधा दी गई थी, जिसका उपयोग अन्य उच्च रैंक के अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए किया गया था। सौरभ चंद्राकर का रिश्तेदार सतीश चंद्राकर दुबई में मास्टरमाइंड के साथ लगातार संपर्क में था और ऑपरेशन की देखरेख कर रहा था। उसने रिश्वत के पैसे नौकरशाहों और राजनेताओं तक पहुंचाने का भी काम किया।
जबकि दमानी बंधु, अनिल और सुनील दमानी प्रमुख संचालक थे जो हवाला लेनदेन के माध्यम से धन को ट्रांसफर करने में मदद कर रहे थे। दोनों एक पेट्रोल पंप और एक आभूषण की दुकान चलाते हैं, जो उनके अवैध संचाधंधे को नया रूप देता है। पुलिस को इन गतिविधियों से 55 करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन का संदेह है।

यशोधा, पुनाराम और शिवकुमार वर्मा

एएसआई वर्मा अपने कामों में अकेले नहीं थे क्योंकि ईडी की जांच से पता चला कि उनकी सास यशोधा वर्मा ने मनी लॉन्ड्रिंग फर्म बनायी थी और इसका नाम आदित्य ट्रेडिंग कंपनी था जो अपराध की आय को वैध बनाने के लिए एक चेहरा था। आदित्य ट्रेडिंग कंपनी अनाज और चावल के व्यापार में शामिल थी। हालांकि, अधिकारियों द्वारा बारीकी से देखने पर, यह पता चला कि पूरे ऑपरेशन का उपयोग महादेव बुक के गुर्गों के फर्जी लेनदेन को कवर करने के लिए किया गया था। इसके साथ ही उनके पिता पुनाराम वर्मा ससुर शिवकुमार वर्मा के साथ सृजन एसोसिएट्स नाम की एक अन्य फर्म में भागीदार हैं।

विकास छापरिया

चंद्राकर और उप्पल के करीबी छापरिया ने चंद्राकर की शादी की 200 करोड़ रुपये की तैयारियों में मदद की थी। कोलकाता में स्टॉक ब्रोकर के रूप में काम करने वाले छापरिया ने महादेव बुक मास्टरमाइंड के सरगना चंद्राकर से स्टॉक मार्केट ने निवेश कराया था। फिलहाल छापरिया के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया है। माना जाता है कि उसने चंद्राकर की तरह वानूआतू में नागरिकता हासिल कर ली है।

विशाल और धीरज आहूजा

महादेव बुक मास्टरमाइंड की शादी में शामिल होने वाले लोगों के लिए यात्रा की व्यवस्था इन दोनों लोगों ने कराई थी। इनमें परिवार के सदस्य, व्यापारिक सहयोगी, मेहमान और अवैध सट्टेबाजी प्लेटफार्मों को बढ़ावा देने वाली हस्तियां शामिल थीं। आहूजा भाई ने उन सभी के लिए दुबई आने-जाने की व्यवस्था की। सिर्फ शादी ही नहीं, दोनों भाइयों ने यूएई में महादेव बुक ऑपरेटिव्स के पिछले कई आयोजनों के लिए भी यात्रा की व्यवस्था की थी।

पवन नथानी

आहूजा बंधुओं के साथ काम करते हुए नथानी ने नकली बैंक मुहैया कराने में अहम भूमिका निभाई थी। न केवल इन बैंक खातों का उपयोग टिकट बुक करने के लिए किया गया था, बल्कि उनका उपयोग दैनिक संचालन की सुविधा के लिए भी किया गया था।

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