Online gaming की वजह से लोगों के व्यवहार में हो रहे परिवर्तन (changes in people’s behavior) की जांच करने के लिए उपभोक्ता मामलों के विभाग (DoCA) ने राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS), बेंगलुरु के साथ एक स्टडी शुरू की है। इस रिसर्च का उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग (onling gaming) में लगे डिजिटल उपभोक्ताओं (digital consumers) की बढ़ती संख्या की सुरक्षा के लिए एक पूर्वानुमानित मॉडल विकसित (develop predictive models) करना है।
4 मार्च 2024 को उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें उपभोक्ता मामले विभाग के संयुक्त सचिव अनुपम मिश्रा, एनआईएमएचएएनएस की निदेशक प्रतिमा मूर्ति और निमहंस में क्लिनिकल साइकोलॉजी के प्रोफेसर मनोज शर्मा के साथ साथ गेमिंग सेक्टर में काम कर रहे अन्य लोगों ने भी हिस्सा लिया। ।
बैठक में उपभोक्ता मामलों के सचिव ने ऑनलाइन गेमिंग की लत की वजह से इसके हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डाला, ऑनलाइन गेमिंग की वजह से सामाजिक अलगाव और वास्तविक जीवन की जिम्मेदारियों की उपेक्षा करने की क्षमता पर जोर दिया। इस स्टडी में ऑनलाइन गेमिंग के लिए एक ऐसा डिज़ाइन या मॉडल विकसित करना है जोकि भविष्य में अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर भी लागू किया जा सके। दरअसल डिजिटल दुनिया में ऑनलाइन गेमिंग सबसे ज्य़ादा खपत वाला सेक्टर है, इसलिए इस तरह का मॉडल तैयार किया जा रहा है।
एनआईएमएचएएनएस की निदेशक प्रतिमा मूर्ति ने आयु समूहों और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि जैसे विभिन्न लोगों का डेटा संग्रह और विश्लेषण के लिए विभिन्न संगठनों और संस्थानों के साथ सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। अध्ययन अत्यधिक डिजिटल खपत को रोकने और स्वस्थ डिजिटल आदतों को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा हस्तक्षेपों और मुकाबला तंत्र की जांच करेगा।
शोध के प्रत्याशित परिणामों का उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए दिशानिर्देश बनाना है, बल्कि उद्योग को मूल्यवान अंतर्दृष्टि भी प्रदान करना है। ये अंतर्दृष्टि ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े आर्थिक और शारीरिक दोनों तरह के जोखिमों को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को अनुकूलित करने में सहायता करेगी।
उपभोक्ता मामले विभाग और एनआईएमएचएएनएस के बीच सहयोगात्मक प्रयास डिजिटल परिदृश्य में चुनौतियों का समाधान करने और डिजिटल उपभोक्ताओं की भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। साक्ष्य-आधारित अनुसंधान और व्यावहारिक हस्तक्षेप के माध्यम से, पहल सभी के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ डिजिटल वातावरण बनाना चाहती है।