जीएसटी विभाग (GST Department) ने गेमिंग और कैसिनों कंपनियों (Gaming and Casino companies) को पिछले साल सबसे ज्य़ादा टैक्स चोरी (GST evasion) के मामलों में नोटिस भेजे हैं। जीएसटी ना भरने के मामलों में 40 परसेंट मामले सिर्फ गेमिंग और कैसिनों कंपनियों से संबंधित है। डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) ने 2023-24 के दौरान जीएसटी चोरी के मामलों का खुलासा किया है, जिसमें टैक्स चोरी के मामलों में गेमिंग और कैसिनो सबसे ऊपर हैं।
डीजीजीआई ने ₹2.01 लाख करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी से जुड़े 6,074 से अधिक मामलों का पता लगाया है। जोकि चालू वित्त वर्ष में कुल जीएसटी कलेक्शन का लगभग 10 प्रतिशत है, जिसने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कुल जीएसटी कलेक्शन में लगभग 1.4 प्रतिशत का योगदान दिया है। इसके अलावा जीएसटी चोरी में शामिल 147 मास्टरमाइंड और अन्य अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।
जिन सेक्टर्स में सबसे ज्य़ादा जीएसटी चोरी पकड़ी गई है, उनमें ऑनलाइन गेमिंग और कैसीनो सबसे ऊपर हैं, इस सेक्टर की कंपनियों की करीब ₹83,588 करोड़ की टैक्स चोरी जीएसटी विभाग ने पकड़ी है। इसी तरह को-इंश्योरेंस/री-इंश्योरेंस सेक्टर की ₹16,305 करोड़ की टैक्स चोरी और सेकेंडमेंट ₹1,064 करोड़ की चोरी का पता चला है। डीजीजीआई ने अपने एक नोट में कहा गया है, “ऑफशोर ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों की सब्सिडियरी की जांच शुरू की है, जिसमें जीएसटी कानून पालन नहीं करने वालों की पहचान कर उनपर कार्रवाई की जाएगी।
वित्त मंत्रालय ने राज्यसभा को सूचित किया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 (अक्टूबर 2023 तक) के दौरान ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को ₹1.12 लाख करोड़ से अधिक के जीएसटी से जुड़े 71 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे। वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक लिखित उत्तर में कहा था, “चूंकि ये नोटिस निर्णय के लिए लंबित हैं, संबंधित जीएसटी मांग अभी तक सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के तहत निर्धारित नहीं की गई है।”
ऑनलाइन गेमिंग पर जीएसटी को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है। इससे पहले ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां प्लेटफ़ॉर्म शुल्क पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगा रही थीं, सट्टेबाजी के रूप में कार्रवाई योग्य दावों पर 28 प्रतिशत टैक्स भी विवादित रहा है। हालांकि, जीएसटी काउंसिल ने पिछले साल 11 जुलाई को अपनी बैठक में सिफारिश की थी कि कैसीनो, घुड़दौड़ और ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत की जीएसटी दर लगाई जाएगी और इसे हटाने के लिए कानून में संशोधन करने की सिफारिश की गई है।