28 परसेंट जीएसटी के बाद गेमिंग सेक्टर में परेशानियों को देखते हुए सरकार अब गेमिंग में 100 प्रतिशत डायरेक्ट विदेशी निवेश (FDI) पर विचार कर रही है। गेमिंग सेक्टर की कंपनियां ख़ासकर रियल मनी गेमिंग कंपनियां इन दिनों भारी परेशानियों में जूझ रही है। 28 परसेंट जीएसटी ऑन डिपॉजिट होने के बाद से आरएमजी कंपनियां काफी नुकसान में हैं और बहुत सारी छोटी कंपनियों ने तो अपना कारोबार भी समेट लिया है। साथ ही अब इन कंपनियों को विदेशी निवेशक मिलने में भी परेशानी हो रही है। इसको देखते हुए सरकार इस सेक्टर पर कुछ मेहरबानी करने का विचार कर रही है। हालांकि जो कंपनियां बैटिंग और गैंबलिंग गतिविधियों में लिप्त होंगी, उनके लिए सरकार यह सुविधा नहीं देगी।
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गेमिंग सेक्टर में अभी विदेशी निवेश करने के लिए सरकार की मंजूरी की जरुरत होती है। भारतीय रिजर्व बैंक की मंजूरी मिलने में कई बार काफी समय लग जाता है, इससे विदेशी निवेशक भी कई बार परेशान होकर यहां निवेश नहीं करते हैं। दूसरी ओर अन्य गेमिंग कंपनियों यानि कैजुअल गेमिंग कंपनियों पर भी इस FDI रूट की वजह से कई बार परेशानियों में घिर जाती हैं और उन्हें भी एफडीआई मिलने में दिक्कतें आ जाती हैं।
कॉमर्स मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, फिलहाल प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है, इसपर अब आगे की कार्रवाई होगी। गेमिंग सेक्टर उभरता हुआ सेक्टर है। इसमें काफी संभावना है। भारत से काफी कंटेंट दुनियाभर में निर्यात हो रहा है। अगर भारत गेमिंग हब बन जाता है तो इससे दुनियाभर में भारतीय गेमिंग की मांग बढ़ेगी और भारत में रोज़गार और विदेशी मुद्रा भी आएगी। लिहाजा गेमिंग को लेकर सरकार गंभीर है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गेमिंग को लेकर संभावनाओं पर सकारात्मक बातें कहीं थी और उन्हें देश के प्रमुख गेमर्स से मुलाकात भी की थी। इसके बाद से ही लग रहा था कि सरकार गेमिंग को लेकर कुछ सकारात्मक कदम उठा सकती है।