क्रिकेट भारत में अब तक का सबसे लोकप्रिय खेल है और प्रमुख ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए अब तक ये आय का बड़ा जरिए था। भारतीय टीम भले ही मौजूदा आईसीसी वनडे विश्व कप में ऊंची उड़ान भर रही हो लेकिन क्रिकेट के बुखार के बावजूद क्रिकेट के कारोबार में प्रमुख सहयोगी ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र डूबने के कगार पर हैं। कई कंपनियों ने भारत में अपने ऑपरेशन बंद कर दिए हैं और कंपनियां इसका प्लान कर रही हैं। हालांकि कई कंपनियों ने अपने बजट में कटौती की है।
असल में 2020 की शुरुआत में कोविड-19 के दस्तक देने के बाद से ऑनलाइन गेमिंग को पंख लगे और ये उद्योग तेजी से आगे बढ़ा। ग्राहकों और व्यापार के मामले में तेजी से वृद्धि ने सरकार और उद्योग के लीडर्स को आकर्षित किया। विडंबना यह है कि एक उद्योग जो तकनीकी तौर पर नया था और नई ऊंचाई छू रहा था। वह टैक्स लागू करने के बाद नीचे की तरफ जा रहा है।
गेमिंग उद्योग के सामने खतरे
गेमिंग उद्योग के 2025 तक 28-30 प्रतिशत की सीएजीआर से 5 बिलियन डॉलर का उद्योग होने का अनुमान था और और दो साल के समय में 500 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान था। ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां वास्तव में उच्च उड़ान भर रही थीं। विदेशी सट्टेबाजी कंपनियों से भारी खतरे के बावजूद देश में गेमिंग सेक्टर ने तेजी से विकास किया। लेकिन अब ये माहौल बदल गया है क्योंकि सरकार ने वास्तविक मनी गेमिंग व्यवसाय पर करीब से नज़र रखना शुरू कर दिया है और वह 2017-2022 की अवधि के दौरान की कमाई पर टैक्स वसूलने जा रही है। जबकि हाल ही में लागू 28 प्रतिशत जीएसटी को पहले की तरह मुनाफा हासिल करने में एक बाधा के रूप में देखा जा रहा है।
विदेशों की तरफ जा रही हैं कंपनियां
फिलहाल कम से कम तीन प्रमुख प्लेटफॉर्म पहले ही यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका पर अपना ध्यान केंद्रित कर चुके हैं, जबकि निवेशक वर्तमान में भारतीय बाजार को लेकर आशंकित हैं। यही नहीं कई कंपनियां अपने कारोबार को दूसरी कंपनियों को ट्रांसफर कर इस धंधे से बाहर निकलने की तैयारी में हैं।
नहीं बन सका है एसआरबी
जब इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने अप्रैल 2023 में ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए नियमों को अधिसूचित किया और तीन स्व-नियामक निकायों (एसआरबी) का गठन करना था। ताकि ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के संचालन को सुव्यवस्थित करना था। छह महीने बीत चुके हैं और एक भी एसआरबी का गठन नहीं किया गया है। यह समझना मुश्किल नहीं है कि क्यों।
कंपनियों ने की बजट में कटौती
क्रिकेट, भारत में अब तक का सबसे लोकप्रिय खेल बन चुका है और प्रमुख ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां खासतौर से यूनिकॉर्न ड्रीम स्पोर्ट्स, एमपीएल और गेम्स 24×7 इसका हिस्सा बन चुकी हैं। क्योंकि ये कंपनियां ऑनलाइन क्रिकेट यूजर्स को खिलाती हैं। यही नहीं इन तीनों ने बीसीसीआई के आईपीएल में भी साझेदारी की है। एमपीएल ने एक साल बाद अपने तीन साल के भारतीय क्रिकेट टीम किट प्रायोजन सौदे से खुद को अलग कर लिया और अपने ऑनलाइन कारोबार को टिकाऊ बनाए रखने के लिए अपने मार्केटिंग बजट में कटौती की है। गेमिंग प्लेटफॉर्म फर्स्ट गेम्स वाली पेटीएम ने भी अनुबंध पूरा होने से एक साल पहले बीसीसीआई के टाइटल प्रायोजक के रूप में अपना संबंध तोड़ लिया था। हालांकि भारत की सबसे पुरानी फैंटेसी कंपनी ड्रीम11 अपने शुद्ध लाभ में भारी गिरावट के बावजूद बीसीसीआई के साथ करार में है।