Illegal Gambling कराने वाले Parimatch App आम लोगों को जुआ खेलने के लिए लुभाने के लिए क्रिकेट की हस्तियों का इस्तेमाल (Use of cricket celebrities to entice people to gamble) कर रहा है। भारतीय क्रिकेटरों के साथ साथ अब यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों (Along with Indian cricketers, now also international cricketers) के जरिए भारत में अपना खेल चला रहा है। भारत में अब यह एप वेस्टइंडीज के क्रिकेटर निकोलस पूरन (West Indies cricketer Nicholas Pooran) को चेहरा बना रहा है।
क्रिकेट में बैटिंग और सट्टा लगाने वाली Parimatch के साथ निकोलस पूरन के जुड़ने को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल इन दिनों अवैध बैटिंग एप के साथ जुड़ने वाले लोगों से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ की वजह से बहुत सारे भारतीय क्रिकेटर इन एप्स के साथ जुड़ना नहीं चाह रहे हैं, इसी वजह से यह एप विदेशी क्रिकेट खिलाड़ियों को अपने साथ जोड़ रहे हैं, इनका निशाना ऐसे क्रिकेटर हैं, जोकि भारत में आईपीएल में भी खेलते हों। लिहाजा निकोलस पूरन को अब इस अवैध जुआ एप ने अपने साथ जोड़ा है और पूरन के चेहरे को दिखाकर लोगों को जुआ खेलने के प्रेरित कर रहा है।
सरकार लगातार परिमैच के डोमेन ब्लॉक कर रही है, लेकिन वेबसाइट इन नियमों से बचने के तरीके ढूंढकर अपने अवैध कारोबार चला रहा है। कभी-कभी अपना वेब पता बार-बार बदलती रहती है, ताकि लोग इस वेबसाइट और एप पर जुआ खेल सकें। पूरन के जरिए यह अवैध एप लोगों को ज्य़ादा खेलने के लिए लुभा रहा है।
दरअसल अपने को अवैध जुआ कंपनी के नाम से बचाने के लिए परिमैच इंडिया ने अपना खुद का स्पोर्ट्सवियर ब्रांड, परिमैच स्पोर्ट्स लॉन्च करके सरोगेट मार्केटिंग शुरु की है, जिसको लेकर बहुत बार देश में चर्चा हो चुकी है, बहुत सारी शराब कंपनियां भी इस तरह की सरोगेट मार्केटिंग करती रही हैं। इस मार्केटिंग के नाम पर जुए के पैसे को भारत में वैध काम कर रही कंपनियों के लिए पेमेंट कराने का काम किया जाता है। ताकि एजेंसियों की कार्रवाई से बचा जा सके।
इस अवैध जुआ कंपनी ने पहले अपने प्रचार के लिए भारतीय क्रिकेटर शिवम दुबे और दिनेश कार्तिक को भी अपने साथ जोड़ा है। सरकार द्वारा जारी चेतावनियों और सलाह के बावजूद भी मीडिया आउटलेट्स और प्लेटफार्मों से अवैध सट्टेबाजी वेबसाइटों को बढ़ावा दे रहे हैं।
निकोलस पूरन के पैरिमैच इंडिया के समर्थन का मामला अवैध ऑफशोर सट्टेबाजी प्लेटफार्मों के प्रभाव को प्रतिबंधित करने में नियामक अधिकारियों के सामने आने वाली चुनौतियों को रेखांकित करता है। जैसे-जैसे ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने के प्रयास तेज हो रहे हैं, यह देखना बाकी है कि क्या भविष्य में ऐसे हाई-प्रोफाइल विज्ञापनों को अधिक जांच और जवाबदेही का सामना करना पड़ेगा।