दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अपनी जांच में पाया है कि जो विदेशी गैंबलिंग कंपनियां (Foreign gambling companies) भारत में अवैध तरीके से कारोबार कर रही हैं, उनमें बड़ी संख्या में चीन की फंडिंग लगी हुई है, जोकि भारत में बड़े स्तर पर मनी लाउंड्रिंग कर रही है।
पुलिस के अनुसार, विदेशों में रजिस्टर्ड गेमिंग प्लेटफार्मों ऑनलाइन गेमिंग से आय को बाहर भेजने के लिए फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर रही हैं और इसके लिए इन प्लेटफार्म ने अपने कर्मचारियों के नाम पर दस्तावेज बनवाए हुए हैं। ईडी की शिकायत में 167 घरेलू फर्मों से जुड़े 188 बैंक खातों और 105 विदेशी संस्थाओं से जुड़े 110 खातों का खुलासा हुआ है। इनमें पहचानी गई विदेशी कंपनियों में से 46 कंपनियां चीन की हैं, जबकि 30 सिंगापुर और 18 हांगकांग में हैं, आशंका जताई जा रही है कि यह सभी कंपनियां चीन से जुड़ी हुई हैं। इसके अलावा 7 यूएई में, 2 मलेशिया में, 1 थाईलैंड में और 1 मॉरीशस में स्थित हैं।
दरअसल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक शिकायत के बाद दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) एक मामले की जांच कर रही है, जिसमें विदेशी ऑफश्योर ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर मनी लॉन्ड्रिंग योजना का आरोप लगाया गया था। वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) और छिपी हुई पहचान के जरिए से यह कंपनियां भारतीयों को गैंबलिंग खेलने के लिए ललचा रही थी। फिर इस पैसे को विदेशों में भेज रही थी।
ईओडब्ल्यू के डीसीपी विक्रम पोरवाल के अनुसार, ईडी की जानकारी विदेशी ऑनलाइन गेमिंग संस्थाओं की ओर इशारा करती है जो वीपीएन के माध्यम से या विदेशी गेमिंग प्लेटफॉर्म के रूप में अपनी वास्तविक पहचान छिपाकर भारतीय खिलाड़ियों तक अपने प्लेटफार्म को पहुंचा रही थी। “विदेश में पंजीकृत ये वेबसाइटें भारतीय बैंक खातों से जुड़ी हुई हैं। इसमें शामिल व्यक्ति जनता से धन इकट्ठा कर रहे थे और बिना जीएसटी रजिस्ट्रेशन के व्यावसायिक गतिविधियां कर रहे थे। साथ ही फर्जी इंपोर्ट दिखाकर विदेशी आउटवर्ड रेमिटेंस जैसे अवैध तरीकों का उपयोग करके उन्हें भारत से बाहर भेज रहे थे।
रिपोर्टें न केवल भारत में बल्कि चीन, सिंगापुर, हांगकांग, दुबई और अन्य देशों में भी सक्रिय एक अंतरराष्ट्रीय रैकेट की उपस्थिति का संकेत देती हैं। इस सिंडिकेट के सदस्य कथित तौर पर मिलीभगत करके बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग और अंतरराष्ट्रीय हवाला मनी ट्रांसफर में लगे हुए हैं।
इस योजना में शामिल व्यक्तियों ने खाली चेक पर हस्ताक्षर प्राप्त करने/जाली करने के बाद डमी फर्मों/कंपनियों से खाली चेक बुक अपने पास रख लीं। उन्होंने अपनी असली पहचान छुपाने के लिए जाली और मनगढ़ंत आईडी का उपयोग करके मोबाइल कनेक्शन भी हासिल किए। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है