बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्रिकेट विश्व कप के दौरान 2019 में क्रिकेट सट्टेबाजी में कथित संलिप्तता के लिए जुआ रोकथाम अधिनियम, 1887 के तहत दर्ज मुंबई पुलिस के एक अधिकारी के खिलाफ चल रहे मुकदमे पर रोक लगा दी है।
वर्तमान में घाटकोपर पुलिस स्टेशन में तैनात पुलिसकर्मी ज्ञानेश्वर खरमाटे ने 2019 की प्राथमिकी को रद्द करने और उसके बाद उनके खिलाफ मुकदमे की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद भायखला पुलिस थाने में तैनात पुलिसकर्मी को तत्काल निलंबित कर दिया गया। बाद में उन्हें सेवा में बहाल कर दिया गया और 2021 में महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण द्वारा विभागीय कार्यवाही को रद्द कर दिया गया।
एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए, पुलिस ने पाया कि तीन दादर के एक होटल में सट्टा चल रहा है और ये लोग 2019 विश्व कप के दौरान ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच मैच पर सट्टा लगाने के लिए एक ऐप का उपयोग कर रहे थे। इस छापेमारी के दौरान पीएसआई ज्ञाननेश्वा खरमाटे भी मौके पर मौजूद थे। इसके बाद सट्टेबाजों और ज्ञानेश्वर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
प्राथमिकी रद्द करने की मांग करने वाली याचिका में खारमाटे ने दलील दी कि छापेमारी, तलाशी और उसके बाद गिरफ्तारियां लिखित सामान्य आदेश या विशेष वारंट के बिना की गईं। याचिका में दावा किया गया है कि छापेमारी महाराष्ट्र जुआ रोकथाम अधिनियम, 1887 की आवश्यकताओं के अनुसार नहीं थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने निचली अदालत में सुनवाई की अगली तारीख सात जुलाई तक सुनवाई पर रोक लगा दी।
पंजाब में अधिकारी के छापा मारने पर कोर्ट ने उठाए थे सवाल
दिलचस्प बात यह है कि इसी तरह के एक मामले में जहां सट्टेबाजी और जुए के एक मामले में उचित प्राधिकरण के बिना एक अधिकारी द्वारा छापा मारा गया था, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कार्यवाही को रद्द कर दिया।