28% जीएसटी और जीएसटी नोटिस से परेशान इंडस्ट्री अब इन नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने पर विचार कर रही है। दो कंपनियों ने पहले ही इन नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रही है। अब इंडस्ट्री की दो प्रमुख एसोसिएशन जीएसटी के नोटिस को केस के फैसले तक रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट जा रही है।
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इंडस्ट्री के एक जानकार के मुताबिक, पिछले हफ्ते ही इस मामले पर इंडस्ट्री ने कोर्ट जाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। अब किसी भी दिन प्रमुख इंडस्ट्री बॉडी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। पिछले हफ्ते ही इंडस्ट्री बॉडी ने अपने सभी सदस्यों से एप्लीकेशन पर कमेंट ले लिए थे। सुप्रीम कोर्ट इस मामले को इसी हफ्ते सुन सकती है।
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दरअसल जीएसटी विभाग अपने कारण बताओ नोटिस को टैक्स डिमांड में तब्दील करने के लिए ऑर्डर्स लेने की कोशिश कर रहा है। इसको रोकने के लिए ही इंडस्ट्री सुप्रीम कोर्ट में यह एप्लीकेशन लगाने जा रही है। दरअसल अगर जीएसटी डिपार्मेंट ने फरवरी के शुरू तक इस मामले में जीएसटी डिमांड नहीं की तो यह शो कॉज नोटिस या कारण बताओं नोटिस अवैध हो जाएंगे, इसीलिए इंडस्ट्री कोर्ट के जरिए टैक्स नोटिस को टैक्स डिमांड में कन्वर्ट होने से रोकने की कोशिश कर रही है। जीएसटी विभाग ने 1 लाख करोड़ रुपये के जीएसटी नोटिस में गेमिंग इंडस्ट्री को दिए हुए हैं। अगर यह नोटिस टैक्स डिमांड में बदल जाते हैं तो गेमिंग कंपनियों पर बहुत बड़ा टैक्स का भार आ जाएगा, जिसकी वजह से कई कंपनियां बंद तक हो सकती है।
टैक्स जानकारों के मुताबिक, जीएसटी रेगुलेशन 2018 में बदल गया था, जबकि जीएसटी एक्ट 2023 में लाया गया और उसके तहत गेमिंग कंपनियों को भी 28% टैक्स दायरे में किया गया था। इसी वजह से जीएसटी विभाग ने इन कंपनियों से टोटल बैटिंग पुल के ऊपर 28% जीएसटी 2018 से सितंबर 2023 तक मांगा है। हालांकि 1 अक्टूबर 2023 के बाद यह गेमिंग कंपनियां 28% जीएसटी टैक्स भर ही रही है, लेकिन मुद्दा जनवरी 2018 से सितंबर 2023 तक के 28% जीएसटी टैक्स का है। जिसको लेकर मामला कोर्ट में चल रहा है, कंपनियों का मानना है की रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स की वजह से इंडस्ट्री बंद होने के कगार पर जा सकती है, इसीलिए कंपनियां सुप्रीम कोर्ट जा रही है।
इसके साथ-साथ जीएसटी एक्ट के रूल 31a को लेकर भी गेविंग कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख अपनाया है। कंपनियों का कहना है की इनडायरेक्ट टैक्स यानि जीएसटी सप्लाई और गुड्स एंड सर्विसेज पर हो सकता है, जबकि यहां जीएसटी विभाग में गेमर के डिपॉजिट पर भी टैक्स लगा दिया है, जो कि किसी भी तरह की सप्लाई नहीं है। इसके बजाय सरकार को प्लेटफॉर्म फीस पर जीएसटी लगाना चाहिए जो कि कुल डिपाजिट का 5 से 20% तक होता है।