केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों (online gaming companies) को जारी किए गए जीएसटी की मांग के नोटिस (GST tax demand notice) पर अपना रुख नरम करने पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, इसके लिए सराकर ने कानूनी राय मांगी है। हालांकि महत्वपूर्ण यह है कि कुछ दिन पहले तक सरकार गेमिंग कंपनियों पर सख्ती का रुख अपना रही थी और अब नरम रुख दिखा रही है। इसके पीछे असली वजह विभिन्न हाई कोर्ट में इन डिमांड नोटिस पर स्टे जारी कर दिया है। लिहाजा सरकार के पास ज्य़ादा रास्ते नहीं बचे हैं।
टीवी चैनल सीएनबीसी के मुताबिक, सरकार अब यह स्वीकार कर रही है कि इन कंपनियों के लिए अवास्तविक कर मांगों को पूरा करना अव्यावहारिक है। खबर है कि सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग फर्मों के साथ चल रहे विवाद के संभावित समाधान पर कानूनी राय मांगी है।
गेम्सक्राफ्ट मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर जीएसटी विभाग को सुप्रीम कोर्ट में स्टे मिलने के बाद 2022-23 और 2023-24 के पहले सात महीनों में, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को जीएसटी चोरी से संबंधित कुल 71 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए और कंपनियों से 1.12 लाख करोड़ रुपये की टैक्स की मांग की गई। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने दिसंबर 2023 में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में साफ किया था कि चूंकि ये नोटिस निर्णय के लिए लंबित हैं, इसलिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के तहत अंतिम जीएसटी मांग अभी तक निर्धारित नहीं की गई है।
अगस्त 2023 में ऑनलाइन गेम खेलने के लिए जमा की गई कुल राशि के आधार पर ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर 28% टैक्स लगाने के सरकार के फैसले ने इंडस्ट्री दबाव में है। इससे बचने के लिए मोबाइल प्रीमियर लीग जैसी कुछ कंपनियों ने इस वजह से छंटनी का सहारा लिया है, तो कुछ छोटी कंपनियों ने अपना कारोबार बंद कर दिया। कंपनियों का कहना है कि 28% कर केवल 1 अक्टूबर, 2023 से लागू होना चाहिए। दूसरी ओर सरकार का कहना है कि 1 अक्टूबर के संशोधन ने केवल मौजूदा कानून को स्पष्ट किया है और लेकिन यह पहले से ही था। इस बीच ऑनलाइन कंपनियों पर जीएसटी की मांग का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. इसके अतिरिक्त, सरकार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है जिसने रुपये को रद्द कर दिया था। गेम्सक्राफ्ट पर 21,000 करोड़ जीएसटी की मांग, विवाद को समाधान के लिए शीर्ष अदालत में ले जाना।