सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एमआर शाह और न्यायाधीश आर सुभाष रेड्डी ने गेम्सक्राफ्ट टेक्नॉलॉजी प्राइवेट लिमिटेड (GTPL) से 21,000 करोड़ रुपये के जीएसटी वसूली पर गेम्सक्राफ्ट के पक्ष में अपना ओपिनियन दिया है। यह केस फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। इसी तरह कई अन्य गेमिंग कंपनियों से भी जीएसटी को लेकर जीएसटी विभाग और गेमिंग कंपनियों के बीच केस चल रहे हैं। सरकार ने कुल मिलाकर 1,00,000 करोड़ रुपये से अधिक के नोटिस गेमिंग कंपनियों को भेजे हैं।
इस मामले की सुनवाई मई 2024 के पहले सप्ताह में भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा की जाएगी। इससे पहले अक्टूबर 2022 कर्नाटक में भी ऑनलाइन स्किल गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के बाद इंडस्ट्री बॉडी FIFS ने भी न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशोक भूषण से इसी तरह की राय ली थी।
न्यूज पोर्टल डीएनए के मुताबिक, न्यायमूर्ति एमआर शाह ने अपने ओपिनियन में, “स्किल गेम्स ” और “चांस बेस्ड गेम्स ” के बीच अंतर पर जोर दिया है, उन्होंने अपनी राय में लिखा है कि “चांस आधारित गेम में जब पैसों को लेकर दांव लगाया जाता है तो वह जुआ होता है, लेकिन स्किल गेम चाहे दांव के साथ खेला जाए या बिना दांव के, जुआ नहीं है।”
न्यायमूर्ति एमआर शाह ने अपने ओपिनियन में लिखा है कि चांस बेस्ड और स्किल बेस्ड गतिविधियों के बीच बुनियादी अंतर से साफ है कि ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्मों पर कितना जीएसटी लगाया जाए। इसके अलावा, न्यायमूर्ति शाह ने जीटीपीएल के मामले में स्किल लोट्टो के संबंध को भी खारिज कर दिया है। जिसमें अलग-अलग कानूनी मुद्दों पर जोर दिया गया।
डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी तरह, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की राय न्यायमूर्ति शाह के ओपिनियन की तरह ही लिखा है कि, “मेरी राय है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए स्किल लोट्टो के मामले में उन मुद्दों को शामिल नहीं किया जाएगा, जो जीटीपीएल द्वारा उठाए गए हैं और उन पर स्वतंत्र रूप से विचार किया जाना है।” न्यायमूर्ति रेड्डी ने लॉटरी और स्किल-आधारित खेलों के बीच अंतर पर प्रकाश डाला।