देश में 950 से ज्य़ादा गेमिंग कंपनियां
3000 करोड़ रुपये से ज्य़ादा का टैक्स भरती हैं ये कंपनियां
5.5 लाख लोगों को डायरेक्ट-इनडायरेक्ट नौकरियां
3 गेमिंग कंपनियां हैं यूनिकॉर्न
Online Gaming Industry: देश में लगातार ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को निशाना बनाए जाने से गेमिंग इंडस्ट्री में डर का माहौल पैदा हो गया है। इससे गेमिंग सेक्टर (Gaming sector) में आने वाले संभावित निवेश (investment) पर भी असर पड़ सकता है। भारत में गेमिंग इंडस्ट्री (Indian gaming industry) दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई इंडस्ट्री है, दुनियाभर में अमेरिका और चीन की गेमिंग इंडस्ट्री (America) के मुकाबले भारत की गेमिंग इंडस्ट्री अभी नई है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में इस इंडस्ट्री पर विभिन्न राज्य सरकारों और टैक्स अथॉरिटी के नोटिस के बाद इंडस्ट्री की प्रमुख कंपनियों में भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है।
ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री आंकड़ों के मुताबिक, देश में फिलहाल 950 से ज्य़ादा गेमिंग स्टार्टअप हैं, जिनमें 2015 तक देश विदेश का कुल 18000 करोड़ रुपये से ज्य़ादा का निवेश हो चुका है। ऑनलाइन इंडस्ट्री के मुताबिक ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों में करीब 5.5 लाख लोगों की रोज़ी रोटी भी जुड़ी हुई है। फिलहाल ये इंडस्ट्री करीब 12 से 15 हज़ार करोड़ रुपये की है, जोकि अगले तीन सालों में दोगुनी से भी ज्य़ादा होने की उम्मीद है। इन कंपनियों में से कई स्टार्टअप यूनिकार्न भी बन चुके हैं। कई विदेशी कंपनियों ने इनमें अच्छा ख़ासा निवेश भी किया है।
पिछले कुछ महीनों से अचानक ही भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री टैक्स और राज्य सरकारों के निशाने पर आ गई हैं। जहां तेलंगना, कर्नाटक, तमिलनाडू जैसे राज्यों ने इन कंपनियों पर बैन लगाने की कार्रवाई शुरु की है, वहीं जीएसटी काउंसिल ने इन कंपनियों पर सख्त टैक्स की तैयारी कर रखी है। इन कंपनियों पर 18 परसेंट जीएसटी से 28 परसेंट जीएसटी की तैयारियां भी चल रही हैं। लेकिन हाल ही में गेमिंग सेक्टर के यूनिकार्न गेम्सक्राफ्ट पर 21 हज़ार करोड़ रुपये से ज्य़ादा के जीएसटी टैक्स नोटिस के बाद कंपनियां परेशान हैं। हालांकि अभी कंपनियां इन मुद्दों पर खुलकर नहीं बोल रही हैं, एक कंपनी के प्रमोटर ने गेमिंगइंडिया को बताया कि अगर ऐसा ही चला तो हमें भारत में अपने ऑपरेशन बंद करने पड़ेंगे। हम यहां टैक्स भी दे रहे हैं, लोगों को नौकरियां भी दे रहे हैं, पूरी इंडस्ट्री सरकार को सालाना 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा का टैक्स देती है। जबकि बहुत अन्य कंपनियां विदेशों से ऑपरेट कर रही हैं, वो यहां कुछ भी नहीं देती और करोड़ों रुपये लेकर चली जाती हैं। ऐसे में हमारे लिए भी यहां काम करने के रास्ते धीरे धीरे कम होते दिख रहे हैं।
गेमिंग इंडस्ट्री की एसोसिएशन ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के सीईओ रोलैंड लैंडर्स ने बताया कि हाल ही में न्यूज रिपोर्ट्स से हमें पता चला है कि विभिन्न टैक्स अथॉरिटी स्किल गेमिंग इंडस्ट्री को बैटिंग और गेंबलिंग इंडस्ट्री के साथ क्लब करने लगी है, जोकि पिछले 60 साल से ज्य़ादा समय से लागू कानून के खिलाफ है। जिनपर समय समय पर विभिन्न सुप्रीम कोर्ट्स और हाई कोर्ट्स ने अपने फैसले भी सुनाएं हैं। गेमिंग कंपनियां प्लेटफार्म फीस पर नियम के मुताबिक टैक्स दे रही हैं।