Saturday, November 9, 2024
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ऑनलाइन गेमिंग में महिलाओं को झेलनी पड़ती है हिंसा, यौन शोषण का शिकार बनती हैं Female Gamers

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पिछले दिनों ही उत्तर प्रदेश में ऑनलाइन गेमिंग एप्प के जरिए धर्मांतरण का मामला सामने आया था। जिसमें कुछ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। हालांकि ये पहला मामला नहीं हैं बल्कि इस तरह के मामले आम हैं। जिसको लेकर लोग पुलिस में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते हैं। भारत में ऑनलाइन गेमिंग में फ्राड होना कोई नया नहीं है। लेकिन अगर गेमिंग की बात करें तो ये महिलाओं के लिए सेफ नहीं हैं और इसमें महिलाओं को कई तरह के शोषण का शिकार होना पड़ता है।

मौजूदा दौर में हम इस सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहे हैं कि वीडियो गेम सिर्फ लड़के ही खेलते हैं। आज ऑनलाइन गेम खेलने में लड़कियां भी पीछे नहीं हैं, लेकिन ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया एक ऐसी जगह है जहां पुरुषों का दबदबा है। गेमिंग की दुनिया में, पुरुषों को महिलाओं की तुलना में अधिक स्थान मिलता है और उनका प्रतिनिधित्व किया जाता है। इसके बावजूद लड़कियां गेमिंग की दुनिया में अपना क्लब बना रही हैं। महिला गेमर्स की संख्या बड़ी संख्या में बढ़ रही है। ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया भी एक ऐसी जगह बनी हुई है जहां महिलाओं को अपनी लिंग पहचान के कारण पुरुषों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। उनके साथ अश्लील व्यवहार किया जाता है और उनका यौन उत्पीड़न किया जाता है।

भारत में लगातार बढ़ रहा है बाजार

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 507 मिलियन गेमर्स हैं। वर्ष 2021-22 में हर महीने 20 लाख नए खिलाड़ी जुड़े हैं। वैश्विक स्तर पर, पिछले साल भारत में 17 प्रतिशत गेम डाउनलोड दर्ज किए गए थे। इस रिपोर्ट में पुरुष और महिला गेमर्स का अनुपात 60:40 दर्ज किया गया है। ऑनलाइन गेमिंग के दौरान, महिला गेमर्स को उत्पीड़न से बचने के लिए अपनी पहचान छिपाने के लिए मजबूर किया जाता है। वे चुपचाप चुप रहकर गेम खेलते हैं। यह सब दिखाता है कि वीडियो गेम के उद्योग और संस्कृति के लिए महिला गेमर्स के लिए अभी तक एक खुला वातावरण नहीं है।

महिला गेमर्स की बढ़ती संख्या

भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री बहुत तेजी से बढ़ रही है। भारत में गेमिंग की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में भारत में गेमिंग बाजार 2.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था, जो 2027 तक 8.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इस रिपोर्ट में पुरुष और महिला गेमर्स का अनुपात 60:40 दर्ज किया गया है। औसतन भारतीय गेमर्स हर हफ्ते 8.5 से 11 घंटे गेमिंग में बिताते हैं। भारत में 507 मिलियन गेमर्स में से 43% महिलाएं हैं।

कम उम्र के बच्चे कर रहे हैं गेमिंग एप्प का इस्तेमाल

भारत की 1.4 अरब आबादी में से 27.3 फीसदी की उम्र 15 से 29 साल के बीच है। वहीं कोरोना लॉकडाउन के दौरान ई-स्पोर्ट्स तेजी से पापुलर हुआ और एक रिपोर्ट के मुताबिक महिला खिलाड़ियों की संख्या 2020 में 12 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 22 प्रतिशत हो गई है। लेकिन भारत में महिला खिलाड़ी को अपने लैंगिक पहचान को छिपाना पड़ता है। क्योंकि वर्चुअल गेम्स में उसे हिंसा, अपमान और शोषण का शिकार होना पड़ता है।

ऑनलाइन गेम्स में रूचि रखने वाली रूचिका का कहना है कि ऑनलाइन गेम उनके साथ गलत तरीके से व्यवहार किया जाता है। आपस में गंदी गालियों का इस्तेमाल किया जाता है और लड़की खिलाड़ी को बहुत ज्यादा डिमोटिवेट किया जाता है। ऑनलाइन गेम्स की वजह से काफी लोग मेरे सोशल मीडिया में जुड़ने लगे।

लड़कियों के ऑनलाइन गेमिंग सुरक्षित नहीं

जानकारों का कहना है कि ऑनलाइन गेम लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं है। हालांकि वह अपनी पहचान अगर छिपाकर रखती हैं तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती है। कभी-कभी ऑनलाइन स्टॉकिंग होती है, इसलिए ये सभी चीजें बहुत आम हैं। एक ऑनलाइन गेम प्लेयर रूबिना कहती हैं कि खेलते समय मुझे अक्सर बहुत बुरे व्यवहार का सामना करना पड़ा है। ऑनलाइन गेम खेलते हुए मेरी कई लोगों से दोस्ती भी हो गई, लेकिन जल्द ही वे बहुत ही असहज माहौल बना देते थे। कुछ लोग तो अश्लील तस्वीरें भेजते थे और उन्हें अनदेखा करने पर कई बार धमकी देते थे।

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deepakupadhyaya
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Deepak Upadhyay is working in journalism field since last 22 years, started journalism from Amar Ujala Chandigarh Deepak worked in various positions in Rajasthan Patrika, S1 Channel, Bhaskar Group and Zee Media. Due to his policy and investigative reporting, he also received the prestigious Red Ink and Narada Samman. Currently, he is working continuously with his three websites (Gaming India, Ayurveda Indian and Ikhbar) as well as organizations like Panchjanya, Swadesh, Navodaya Times, TV9 and TV18.
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