ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी जीएसटी लागू करने के केन्द्र सरकार के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गयी है। असल में ऑनलाइन गेमिंग कंपनी कमल मिश्रा एंड एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) अधिनियम, 2023 और सीजीएसटी संशोधन नियमों की वैधता को चुनौती देते हुए दाखिल की है। जिसमें ऑनलाइन मनी गेमिंग कंपनियों से लिए जा रहे 28फीसदी जीएसटी का विरोध किया गया है।
याचिका में सीजीएसटी अधिनियम की धारा 15 (5) को चुनौती देने के अलावा केंद्र सरकार की जा वैल्यूएशन भी चुनौती दी गयी है। लाइव लॉ के अनुसार, याचिकाकर्ता एक ऑनलाइन कौशल-आधारित गेमिंग प्लेटफॉर्म चलता है और इसमें औसतन लगभग 5,000 यूजर आते हैं। याचिका कर्ता का कहना है कि प्लेटफ़ॉर्म केवल 10 फीसदी रखी जाती है जबकि शेष यूजर के पास चली जाती है।
याचिका में कहा गया है कि जीएसटी में बदलाव से पहले 18 फीसदी प्लेटफॉर्म फीस लगती थी। अब इसमें बदलाव किया गया है और अब पूर्ण अंकित मूल्य पर 28 फीसदी टैक्स लिया जा रहा है। शतरंज, क्रिकेट आदि जैसे कौशल से जुड़े खेल वैध और वांछनीय गतिविधियों की सीमा में आते हैं जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) द्वारा संरक्षित हैं। इस प्रकार के गेम्स सट्टेबाजी और जुए की गतिविधियों से अलग हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है कि ऑनलाइन गेम्म और सट्टे को समान रूप से रखना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उल्लंघन तब हुआ जब कौशल और सट्टेबाजी पर 28 फीसदी का टैक्स लगाया गया था।
मामले की अगली सुनवाई 11 जनवरी 2024 को होगी
पूरे मामले की सुनवाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति सिंह और न्यायमूर्ति प्रसाद की खंडपीठ ने की और जिन्होंने अटॉर्नी जनरल, भारत संघ और अन्य को नोटिस जारी किए। मामले की अगली सुनवाई 11 जनवरी, 2024 को होगी।
1अक्टूबर से लागू किया था 28 फीसदी जीएसटी
ऑनलाइन मनी गेमिंग और कैसीनो कंपनियों के लिए जीएसटी की गणना करने वाले नए मानदंडों को 1 अक्टूबर 2023 से केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया था और हालांकि उद्योग ने प्रावधानों के साथ अपनी निराशा व्यक्त की थी।