आप कोलंबियाई ड्रग किंगपिन पाब्लो एस्कोबार के बारे में जानते तो होंगे ही। जिसका कोकीन कार्टेल 80 और 90 के दशक में 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था और वह वहां कि सरकार को बदलने की ताकत रखता था। उस समय कोलंबिया के राजनीतिक और व्यावसायिक वर्ग में उसकी मजबूत पकड़ थी। हालांकि अभी तक कोई भी भारतीय अपराधी एस्कोबार की बराबरी नहीं कर सका। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भारत के सबसे कुख्यात माफिया बॉस की सूची में ऊपर है। हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि छत्तीसगढ़ के भिलाई का एक युवा भारत के सबसे बड़े भगोड़ों में से एक है और उसकी रैंकिग लगातार बढ़ती जा रही है। वह भी ऑनलाइन सट्टे में।
अगर कभी भगोड़ों और अंडरवर्ल्ड राजाओं के लिए ’30 अंडर 30′ का कोई अवार्ड होता तो ये सौरभ चंद्राकर को दिया जाता। छत्तीसगढ़ के भिलाई में जूस बेचकर बड़ा हुआ है और 2018 के आसपास दुबई चला गया और अपने दोस्त और साथी रवि उप्पल की मदद से ऑनलाइन स्पोर्ट्स बेटिंग और कैसीनो प्लेटफॉर्म ‘महादेव बुक’ शुरू किया।
पिछले पांच वर्षों में, चंद्राकर एंड कंपनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा है और कम ही समय में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का साम्राज्य स्थापित कर लिया है। छात्रों, युवाओं, बेरोजगारों, किसानों और समाज के अन्य गरीब वर्गों को जल्दी पैसे का लालच देते हुए, चंद्राकर और उनकी टीम ने एजेंटों और उप-एजेंटों के नेटवर्क के माध्यम से ‘पैनल’ नामक खेल सट्टेबाजी आईडी देना शुरू कर दिया है।
महादेव बुक को भारत और विदेशों के सभी प्रमुख राज्यों और शहरों में पहचान मिल चुकी है और महादेव बुक मॉडल भारत के विदेशी मुद्रा, धन-शोधन और कराधान नियमों को भी दरकिनार करता है, जिसमें क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, बैंक ट्रांसफर या यूपीआई के माध्यम से जमा करने की अनुमति दी जाती है।
ये चंद्राकर की मॉडस आपरेंडी
चंद्राकर के काम करने के तरीका कुछ अलग है। वह कुछ हजार रुपये के मासिक शुल्क पर निष्क्रिय या अर्ध-सक्रिय बैंक खातों को खरीद लेता है औऱ सट्टेबाजी ऐप से जुड़े एजेंट और बिचौलिए भोले-भाले किसानों, आदिवासियों, छात्रों और अन्य लोगों को अपने डेबिट कार्ड, चेक बुक और बैंक खाते के जरिए पैसे ट्रांसफर करते हैं। ऐसे हजारों एकत्र किए गए खातों का उपयोग करोड़ों रुपये के लेनदेन के लिए किया जाता है।
कई ब्रांडों को किया है टेकओवर
महादेव बुक के विशेष रूप से छत्तीसगढ़ और झारखंड के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में एजेंट और लाखों कस्टमर हैं। पिछले कुछ वर्षों में, चंद्राकर ने ‘अंबानी बुक’ और ‘बेटभाई’ जैसे नामों के तहत नए ब्रांड लॉन्च करने के अलावा फेयरप्ले, लेजरबुक, लोटस 365 और रेड्डी अन्ना जैसे ब्रांडों का टेकओवर किया है और भारत के अवैध ऑफशोर गैंबलिंग और सट्टेबाजी व्यवसाय पर लगभग एकाधिकार कर लिया है। चंद्राकर और उसके सहयोगी विभिन्न ब्रांड नामों के माध्यम से कम से कम 51 अवैध सट्टेबाजी वेबसाइटों को संचालित करते हैं।
मर्डर केस में आया है नाम
चंद्राकर और उसके सहयोगियों का नाम भिलाई में एक हत्या के मामले में भी सामने आया है और उन्हें पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में हुए कई अन्य अपराधों के लिए भी जिम्मेदार बताया जाता है। चंद्राकर और उनके सहयोगियों के स्वामित्व वाले कई अवैध सट्टेबाजी ब्रांडों ने शीर्ष क्रिकेटरों और बॉलीवुड अभिनेताओं को ब्रांड एंबेसडर के रूप में नियुक्त किया है।
एनआईए ने भी दर्ज किया है मामला
हालांकि प्रवर्तन निदेशालय, छत्तीसगढ़ पुलिस और यहां तक कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भी चंद्राकर और उनके सहयोगियों के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण, धन-शोधन, धोखाधड़ी, धोखाधड़ी और अवैध जुए के लिए मामले दर्ज किए हैं। मामलों और लुकआउट नोटिस के बावजूद, महादेव बुक के कथित मास्टरमाइंड सौरभ चंद्राकर ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है और दुबई में एक शानदार जीवन जी रहा है। लिहाजा भारतीय पुलिस और एजेंसियां उसका कुछ नहीं बिगाड़ पा रही हैं।
राजनैतिक संरक्षण
ये भी कहा जा रहा है कि चंद्राकर को राजनीतिक नेताओं और नौकरशाहों का आशीर्वाद है और वह इसके बदले में उनको चुनावों में पैदा देता है। वहीं नौकरशाहों को विदेशों की सैर कराता है।