Saturday, February 22, 2025
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ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म को देना होगा 45,000 करोड़ रुपये का टैक्स, जीएसटी लागू होने के बाद बढ़ेंगी दिक्कतें

ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म की दिक्कतें लगातार बढ़ रही हैं। एक तरफ सरकार ने 28 फीसदी जीएसटी लागू करने का फैसला किया है। वहीं दूसरी तरफ अवैध प्लेटफॉर्म अपनी पकड़ भारतीय बाजार में बढ़ा रहे हैं। जिसके कारण इन ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर दोहरी मार पड़ रही है। वहीं अब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से इन कंपनियों की लंबित जीएसटी देनदारियों का आकलन किया है। जिसके मुताबिक इन कंपनियों पर 45 हजार करोड़ रुपये की टैक्स देन दारी बनेगी।

ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्मों ने सकल गेमिंग राजस्व पर 18% कर का भुगतान किया और नवीनतम ऑनलाइन गेमिंग टैक्स निय नियम मौका और कौशल के गेम के बीच अंतर नहीं करते हैं। फिलहाल जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) इन कंपनियों को नोटिस जारी करने पर काम कर रहा है।

ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए टैक्स को लेकर की जा रही चिंताएंकम होने के संकेत नहीं दिखा रहा है क्योंकि ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म जो कौशल के गेम की पेशकश करते हैं वह लगभग 45,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त टैक्स देने को लेकर परेशान हैं। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज ऐंड कस्टम्स (सीबीआईसी) ने 2017 के जीएसटी लागू होने के बाद से इन कंपनियों की लंबित जीएसटी देनदारियों का आकलन किया है।

अभी तक 18 फीसदी टैक्स देती हैं कंपनियां

ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्मों ने सकल गेमिंग राजस्व पर 18% कर का भुगतान किया जाता है। ऑनलाइन गेमिंग पर कर लेवी पर जीएसटी परिषद द्वारा हालिया निर्णय मौका और कौशल के खेल के बीच अंतर नहीं करता है। अधिकारी ने सीबीआईसी के आंतरिक आकलन का हवाला देते हुए कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद से कौशल आधारित ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्मों द्वारा भुगतान किए गए कर में अंतर लगभग 45,000 करोड़ रुपये कम है।

50 हजार का किया है आंकलन

रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) इन कंपनियों को नोटिस जारी करने पर काम कर रहा है। सीबीआईसी ने ऑनलाइन गेमिंग उद्योग की कुल कर देयता की गणना 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की की है। रियल मनी गेमिंग (आरएमजी) कंपनियों के प्रभुत्व वाले भारतीय गेमिंग उद्योग ने 2017 के बाद से केवल 5,000 करोड़ रुपये जीएसटी का भुगतान किया है। इस आंकड़े में ऑफशोर गेमिंग कंपनियां (12,000 करोड़ रुपये की कर कमी) और गेम्सक्राफ्ट पर उठाए गए 21,000 करोड़ रुपये की कर मांग शामिल है। ऐसे में डीजीजीआई अन्य कंपनियों से रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स के रूप में शेष 12,000 करोड़ रुपये एकत्र करने के लिए नोटिस जारी कर सकता है।

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने डीजीजीआई द्वारा गेम्सक्राफ्ट के खिलाफ की गई कर मांग को खारिज कर दिया था, जबकि केंद्र ने इस महीने की शुरुआत में फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। जानकारी के मुताबिक हर रियल मनी से डील करने वाली हर ऑनलाइन गेमिंग कंपनी पर 28% जीएसटी लगेगा और उसे शेष कर का भुगतान करना होगा। संसद ने शुक्रवार (11 अगस्त) को सीजीएसटी और आईजीएसटी कानूनों में संशोधन को मंजूरी दे दी, जो 11 जुलाई को जीएसटी परिषद द्वारा किए गए बदलावों को सक्षम करेगा।

अक्टूबर से लागू होंगे टैक्स के नए नियम

टैक्स में वृद्धि ने ऑनलाइन गेमिंग स्टार्टअप के लिए जीएसटी देयता में 400% की वृद्धि की है। ऐसे में जीएसटी के इस फैसले को गलत बताया जा रहा है। एमपीएल और हाइक ने पहले ही 400 से अधिक कर्मचारियों को निकाल दिया है, ताकि बढ़ी हुई कर देयता के मद्देनजर लागत में कटौती की जा सके, क्योंकि उद्योग में अधिक छंटनी और अधिग्रहण की उम्मीद है।

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Deepak Upadhyay is working in journalism field since last 22 years, started journalism from Amar Ujala Chandigarh Deepak worked in various positions in Rajasthan Patrika, S1 Channel, Bhaskar Group and Zee Media. Due to his policy and investigative reporting, he also received the prestigious Red Ink and Narada Samman. Currently, he is working continuously with his three websites (Gaming India, Ayurveda Indian and Ikhbar) as well as organizations like Panchjanya, Swadesh, Navodaya Times, TV9 and TV18.
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