Fantacy platform Dream11 की मालिक कंपनी स्पोर्टा टेक्नोलॉजीज के खिलाफ ₹7 करोड़ से अधिक के मामले में मुंबई में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने 9 फरवरी को कर्ज के लिए दिवालिया (Insolvency) याचिका स्वीकार कर ली। यानि अब ड्रीम11 प्लेटफार्म की मालिक कंपनी के खिलाफ दिवालिया घोषित करने को लेकर सुनवाई होगी। इस मामले को लेकर एनसीएलटी कोर्ट ने मदन बजरंग लाल को अंतरिम समाधान पेशेवर (interim resolution professional) नियुक्त किया। हालांकि बताया जा रहा है कि इसपर दोनों कंपनियां कोर्ट के बाहर सेटलमेंट कर सकती है।
कोर्ट की ज्यूडिशियल मेंबर रीता कोहली और तकनीकी सदस्य मधु सिन्हा के एक समूह ने मदन बजरंग लाल को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त करने का फैसला दिया। NCLT court ने अपने 11 पेज के फैसले में कहा कि, “इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि याचिका स्वीकार के लिए सभी कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करती है और इसे 3 साल की सीमा अवधि के अंदर दायर किया गया है। उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, हमारा विचार है कि यह याचिका धारा के तहत स्वीकार किए जाने योग्य है।
Dream11 की मालिक कंपनी स्पोर्टा टेक के दिवालियेपन की मांग वाली याचिका रिवार्ड सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड की ओर से Resolution professional पीयूष जानी ने दायर किया था। रिवार्ड्स सॉल्यूशंस ने 27 दिसंबर, 2019 को 5 साल की अवधि के लिए स्पोर्टा के साथ एक लीज़ और लाइसेंस समझौता किया था। लेकिन स्पोर्टा टेक ने यह लीज़ रेंट दिया ही नहीं, 20 अप्रैल, 2021 को रिवार्ड्स सॉल्यूशन ने स्पोर्टा को एक डिमांड नोटिस भेजा था। जब स्पोर्टा नोटिस का पालन नहीं किया तो दिवालिया याचिका दायर की गई।
स्पोर्टा ने इस डिमांड नोटिस के जवाब में कहा था कि कोविड -19 महामारी के असर की वजह से लाइसेंस शुल्क पर बातचीत करने का अपना उचित अवसर खो दिया। स्पोर्टा ने 27 नवंबर, 2020 को प्रवर्तन निदेशालय से लीज़ पर दिए गए परिसर के कुर्की के आदेश की प्रति प्राप्त करने का दावा किया। दिवाला याचिका के जवाब में, स्पोर्टा ने यह भी कहा था कि रिवार्ड्स सॉल्यूशन ऋणदाता नहीं था जैसा कि उसने दावा किया था। ट्रिब्यूनल ने निष्कर्ष निकाला कि रिकॉर्ड पर लाए गए ईमेल से ऋण के भुगतान के लिए विवाद की उपस्थिति का पता चलता है, जिस पर कोई विवाद नहीं है। इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकाला गया कि स्पोर्टा देनदार था और रिवार्ड्स सॉल्यूशंस ने कर्ज़ भुगतान में डिफ़ॉल्ट को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया था।
पीठ ने कहा कि “स्पोर्टा टेक्नोलॉजीज पूरी तरह से एक कॉर्पोरेट कर्ज़दार है और याचिकाकर्ता ने संबंधित प्रावधानों के अनुरूप पार्टियों के बीच किसी भी पूर्व-मौजूदा विवाद की अनुपस्थिति के साथ-साथ स्पोर्टा के ‘परिचालन ऋण’ और ‘डिफॉल्ट’ के अस्तित्व को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है। अंग्रेजी अखबार द इकॉनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, स्पोर्टा टेक्नोलॉजीज ने इस मुद्दे पर पूछे गए सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।